सिद्धार्थ कलहंस
बनारस की तंग गलियों वाले मोहल्ले बजरडीहा के कई पुराने बाशिंदे आजकल नींद न आने की वजह से परेशान हैं। कुछ एसा ही हाल मदनपुरा इलाके का है जहां डॉक्टरों के यहां अनिद्रा की शिकायत करने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। दर असल इन दोनो इलाकों के पुराने लोग हमेशा करघे की खटपट की लोरी सुन कर सोया करते थे। करघे की खटपट कहीं गायब हो गयी है तो कहीं मध्यम पड़ गयी है। डॉक्टरों का कहना है कि बाडीक्लाक में परिवर्तन नींद पर ही सबसे पहले असर डालता है सो यहां लोगों को नींद न आने की बीमारी आम हो गयी है।शिव की नगरी बनारस में इन्हीं दो मोहल्लों में कभी 10000 से ज्यादा करघे थे और कुंजगली,नीचीबाग व गोलघर में बुनकर माल लेकर खुद आते थे और सट्टी पर माल बेंचा करते थे। सिल्क िनयार्तक रजत सिनर्जी का कहना है कि सट्टी कारीगर और खरीददार के बीच सीधा संवाद स्थापित होने का बड़ा जरिया था। यहां सट्टी लगवाने वाला बड़ा दुकानदार सौदा तय होने पर 3.25 फीसदी कमीशन ले लेता था।
आज गोलघर के सबसे बड़ी सट्टी वाले कारोबारी ब्रजमोहन दास का काम ठप्प जैसा ही है। कमोबेश यही हाल बाकी सट्टी लगवाने वालों का है। नीचीबाग के हैंडलूम साड़ी बेंचने वाले राजेश गुप्ता से कारोबार का हाल पूंछा तो दाशर्निक सा जवाब दिया कि बाजार की चला-चली की बेला है। उनका कहना है कि कारीगर के पास काम नही है और व्यापारी के पास आर्डर नही।
इस तरह धंधा कब तक चलेगा। मदनपुरा मोहल्ले में जब हमने बुनकरों से संवाद स्थापित करना चाहा तो पता चला कि कई सारे लोग दश्शवमेध घाट के ठीक पहले मंडी में अंडा बेंचकर गुजारा कर रहे हैं। तो कुछ लोग घाटों पर आने वालों को भेल पुरी बेंच कर पेट पालने में लगे हैं। एसे ही एक बुनकर स्वालेह मियां से बात की तो पता चला कि धंधा खात्मे की ओर है। उनका कहना है कि हैंडलूम का मुशि्कल काम करुवा बूटी करने वाले कारीगर को 100 रुपए रोज की मजदूरी पाना आसान नही है। इसके ठीक उलट ईंट ढोने वाला अकुशल मजदूर दिन भर में 130 रुपए घर ले जाता है। इन हालात में करघे पर कारीगर क्यों रुकेगा।
Apne blog ke dwara ap sarthak awaj utha rahe hain..badhai !!
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गणेश शंकर ‘विद्यार्थी‘ की पुण्य तिथि पर मेरा आलेख ''शब्द सृजन की ओर'' पर पढें - गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ का अद्भुत ‘प्रताप’ , और अपनी राय से अवगत कराएँ !!
जी जरुर पढ़ता हूं, कृपया लिंक भेज दें। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbaba saheb,
जवाब देंहटाएंrahi masoom raza yaad aa gaye. keep going. best wishes.
shukla here
हम काफिरों ने शौक में रोजा तो रख लिया
जवाब देंहटाएंअब हौसला बढ़ाने को इफ्तार भी तो हो
divya bhai aapki hauslaafzai bade kaam aati hai
dost banne ke liye shukriya
जवाब देंहटाएंbaba saheb
जवाब देंहटाएंbhaut din ho gaye, kuchh nahi likha. kaya baat hai?
keep going dear
shukla here