बुधवार, 25 फ़रवरी 2009

एक हैं डॉ वजाहत रिजवी

एक हैं डॉ वजाहत रिजवी
सिद्धार्थ कलहंस
दो दिन पहले यशवंत के भड़ास फॉर मीडिया पर पढ़ा डॉ िरजवी को उत्तर प्ररदेश कर्मचारी सहित्य परिषद का गालिब पुरस्कार पाने की खबर। खबर थोड़ी पुरानी जरुर थी पर सम्मान तो सम्मान है और वो भी रिजवी साहब को। उत्तर प्रदेश के मुखिय के मीडिया सेंटर के प्रभारी हैं कई साल से। वहीं कई साल पहले का परिचय है। देखता था राज्य के हेडक्वार्टर पर मान्यता प्रराप्त पत्र्रकार अक्सर जब नारज होत तो अपनी कुंठा उन पर ही निकल दिया करते थे। रिजवी साहब चुपचाप सब सुनते थे। और मुस्कराते रहते थे। सबकी शिकायत का निवारण करते रहते थे। पत्र्रकारों की हर शिकायत को आज भी बदस्तूर सुनते हैं और जो भी बन पड़े करते रहते हैं। उनकी लेखन की प्रतिभा के बारे में ज्यादा पता नही था। एक बार किसी ने बताया था कि सरकारी ऊर्दू पत्रिका नया दौर का संपादन भी वो करते हैं। बहुत बाद में एक बार उसी पत्र्रिका का 1857 पर विशेष अंक निकला उसकी समीक्षा पढ़ी इंडियन एक्सप्रेस में तब वाकिफ हुआ उनके काम से। पहले जो बात दिमाग में आई वो ये कि दिन भर की मशक्कत के बाद कहां से समय निकाल लेते हैं। जिज्ञासा थी इस लिए एक बार पूंछा भी। मुस्करा के बोले सब हो जाता है। शौक है तो लिखने का समय भी निकाल लेते हैं। राज्य सरकार ने उनकी प्रतिभा का सम्मान किया खुशी हुयी। उम्मीद है कि वो अपने लिखने के काम को जारी रखेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें