बुधवार, 4 मार्च 2009

मंदी में भी फलेगी झंडी

चुनावी सहालग में हजारों के चूल्हे भी जलेंगे

सिद्धार्थ कलहंस

लखनऊ, 4 मार्च
चुनाव आते ही दुकानें सज गयी हैं और हजारों के लिए रोजगार भी मुहैय्या हो रहा है। चुनावी प्रचार के सामानों के लिए मशहूर लखनऊ और कानपुर के कारोबारी मंदी के इस दौर में भी अच्छी कमाई के बारे में आश्वस्त हैं। उनका मानना है कि चुनाव आयोग की सख्ती के चलते लोग बड़ी होर्डिंगों के बजाए बिल्ला, बैनर और झंडे को तरजीह देंगे। चुनाव आयोग का खौफ माहौल में इस कदर तारी है कि मुख्य चुनाव आयुक्त गोपालस्वामी के आने की खबर सुनते ही मंगलवार रात से सारा प्राशासनिक अमल होर्डिंगों को हटाने में चुट गया। चुनाव प्रचार का सामान तैयार करने वालों का मानना है कि इस बार अकेले उत्तर प्रदेश में 81 लोक सभा सीटों में हर एक पर कम से कम 50 लाख रुपए की प्रचार सामाग्री हवन होगी। दिल्ली और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश व बिहार से मिलने वाले आडर्र को जोड़ लें तो इस साल का कारोबार 140 करोड़ रुपए को पार कर जाएगा।

कारोबारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का सामान बाकी राज्यों के मुकाबला खासा सस्ता है और यही वजह है कि दिल्ली से लोग यहां आकर खरीददारी करते हैं और आर्डर देते हैं। मसलन लखनऊ में कपड़े का झंडा 2 रुपए से शुरु होकर 14 रुपए तक मिल जाता है जबकि यही झंडा दिल्ली में कम से कम 4 रुपए का मिलता है। लखनऊ में स्टीकर 80 पैसे का मिल रहा है और परचे तो 300 रुपए में एक हजार छप जाते हैं। कपड़े का बैनर यहां 28 रुपए और फ्लेक्स का बैनर 55 रुपए मीटर बन जा रहा है। चुनावी सामान के कारोबारी सोहन लाल जायसवाल का कहना है कि बोर्ड की परीक्षा चल रही है इस लिए उम्मीदवार माइक नही प्रचार सामाग्री के भरोसे ज्यादा हैं। उनका कहना है कि पार्टी के चुनाव निशान वाली साड़ी जो 70 रुपए में मिल रही है ज्यादा डिमांड में रहेगी।

लखनऊ के एक और बड़ी विज्ञापन एजेंसी के मालिक रजत श्रीवास्तव का कहना है कि मंदी के बावजूद लोगों का चुनावी खर्च बढ़ा है और इसी से कारोबार भी बढ़ेगा। उनका कहना है कि बहुजन समाज पार्टी ने एक साल पहले ही अपने प्रत्याशी तय कर दिए जिसके चलते चुनाव से पहले ही प्रचार का सामान बिकने लगा।

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